समानार्थक प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द
Samaanaarthak Prateet Hone Vaale Bhinnaarthak Shabda
अभिमान – अपने को दूसरों से बड़ा समझने का घमण्ड।
अहंकार – झूठा घमण्ड।
गर्व – आत्म सम्मान सहित अभिमान।
अनभिज्ञ – जो किसी एक बात को नहीं जानता।
अज्ञ – जो कुछ नहीं जानता।
अज्ञेय – जो न जाना जा सके।
प्रेम – छोटे-बड़े, हमउम्र सबके प्रति स्निग्ध भाव।
स्नेह – छोटों के प्रति स्निग्ध भाव।
आसक्ति – मोहजनित लगाव।
प्रणय – विपरीत लिंगों में एक दूसरे के प्रति उत्पन्न स्निग्ध भाव।
वात्सल्य – माता-पिता का बच्चों के प्रति प्रेम।
आज्ञा – इज़ाज़त भी, आदेश भी।
अनुमति – इज़ाज़त।
अनुरोध – विनय पूर्वक किया गया आग्रह।
आग्रह – विनय के साथ-साथ अधिकार भाव से की गई प्रार्थना।
अनुकंपा – दूसरों के प्रति संवेदनशील होना/सहानुभूति पूर्ण कृपा।
अन्वेषण – अज्ञात पदार्थ स्थानादि का पता लगाना।
अनुसंधान – छानबीन, जाँचपड़ताल।
आविष्कार – किसी नवीन सिद्धान्त की खोज करना।
अभिलाषा – किसी विशेष वस्तु को पाने की हार्दिक इच्छा।
इच्छा – सामान्य वस्तु को पाने की साधारण चाह।
अनुभव – कर्मेन्द्रियों द्वारा प्राप्त होने वाला ज्ञान।
अनुभूति – ज्ञनेंद्रियों द्वारा तात्कालिक प्राप्त होने वाला आन्तरिक ज्ञान।
अध्यक्ष – किसी सुसंगठित विधायी संस्था का प्रधान।
सभापति – आयोजित सभा का प्रधान।
अधिवेशन – किसी संस्था का बड़ा सम्मेलन।
बैठक – किसी संस्था की किसी समिति की थोड़े समय के लिए सभा।
आधि – मानसिक रोग/पीड़ा।
व्याधि – शारीरिक रोग/पीड़ा।
अनुमोदन – किसी कार्यवाही या कथन पर सहमति देना।
समर्थन – किसी प्रस्ताव या विचार पर सहमति देना।
अन्याय – न्याय के विरुद्ध काम।
अपराध – कानून का उल्लंघन।
विचित्र – नियमित से भिन्न।
विलक्षण – विरल लक्षण वाला
अवस्था – वर्तमान समय की उम्र की गणना।
आयु – सम्पूर्ण जीवन की उम्र की गणना।
अस्त्र – फेंककर चलाया जाने वाला हथियार।
शस्त्र – हाथ में थामकर चलाया जाने वाला हथियार।
अनुपम – जिसकी तुलना नहीं हो सकती।
अद्वितीय – जिसके समान कोई दूसरा न हो।
अपयश – स्थाई बदनामी।
कलंक – चरित्र पर अस्थाई दोष।
अध्ययन – सामान्य पठन-पाठन।
अनुशीलन – चिंतन-मनन सहित अध्ययन।
अनबन – दो व्यक्तियों की आपस में न बनना।
खटपट – दो पक्षों के बीच झगड़ा।
अर्पण – अपने से बड़ों के लिए।
प्रदान – बड़ों की ओर से छोटों के लिए।
आदि – एक-दो उदाहरणों के बाद।
इत्यादि – कई उदाहरणों के बाद।
अर्चना – पुष्प, नैवेद्य आदि से देवता की पूजा।
पूजा – वस्तुओं के बिना, भाव से ईश्वर की प्रार्थना।
आराधना – मनोकांक्षा की पूर्ति हेतु इष्ट की पूजा।
उपासना – इष्टदेव की प्रार्थना।
अधिक – सीमा से ज्यादा।
काफी – निर्धारित सीमा के अनुरूप।
अनुमान – बौद्धिक तर्क द्वारा लिया गया निर्णय।
प्राककलन – भविष्य में होने वाले व्यय के बारे में गणना के सहारे किया गया अनुमान।
अपमान – किसी की प्रतिष्ठा को जानबूझकर ठेस पहुँचाना।
अवमानना – अनायास किसी की प्रतिष्ठा की हानि।
अमूल्य – जिसका मूल्य निर्धारण करना संभव न हो।
बहुमूल्य – जिसका मूल्य बहुत अधिक हो।
अभिनन्दन – किसी उपलब्धि पर सम्मान देना।
स्वागत – आये हुये व्यक्ति का सत्कार करना।
आपत्ति – जिस संकट का निवारण हो सके/अचानक आया संकट।
विपत्ति – जिस संकट का निवारण न हो सके।
आशा – अच्छे कार्य की उम्मीद।
आशंका – अनिष्ट होने का खटका।
शंका – होने न होने का संदेह।
आचरण – व्यक्ति का चरित्र।
व्यवहार – दूसरों के साथ किया जाने वाला क्रिया-व्यापार।
आकार – लम्बाई, चौड़ाई, ऊँचाई का नाप-जोख।
रूप – सौन्दर्य का नाप-जोख।
आदरणीय – अपने से बड़ो के लिए सामान्य रूप से प्रयुक्त सम्मान सूचक शब्द।
पूजनीय – माता-पिता, गुरुजन, महापुरुषों के लिए प्रयुक्त सम्मान सूचक शब्द।
अनुच्छेद – गद्यांश या अवतरण।
परिच्छेद – अध्याय।
अन्तःकरण – विवेकादि का केन्द्र।
मन – सोच-विचार का केन्द्र।
चित्त – स्मरण केन्द्र।
आतंक – बल के आधार पर किया गया अत्याचार
त्रास – व्याकुलता सहित भय।
अधर – केवल नीचे का ओंठ।
ओष्ठ – ऊपर और नीचे के ओंठ।
आलोचना – गुण-दोषों का सम्यक् विवेचन।
निंदा – केवल दोषों का बखान।
आनन्द – शारीरिक और आत्मिक सुख।
हर्ष – तत्कालीन सुख।
उल्लास – उत्साहयुक्त क्षणिक प्रसन्नता।
आलोचना – किसी एक पक्ष का विवेचन।
समालोचना – सम्पूर्ण पक्षों का विवेचन।
आमंत्रण – किसी समारोह में सम्मिलित होने के लिए सामान्य बुलावा।
निमंत्रण – भोजनादि के लिए विशेष बुलावा।
ईर्ष्या – किसी की उन्नति या उपलब्धि को देखकर जलना।
स्पर्द्धा – मुकाबले में आगे रहने की चाह।
उन्नति – यथास्थिति से ऊपर उठना।
प्रगति – पिछड़ेपन की स्थिति से आगे बढ़ना।
उपहार – छोटे और वयस्कों को सप्रेम कुछ देना।
भेंट – बड़ों को आदर सहित कुछ देना।
उत्साह – किसी कार्य को करने की उमंग।
साहस – कठिन कार्य करने की हिम्मत।
उपस्थिति – व्यक्ति का होना।
विद्यमानता – वस्तु का होना।
उपहास – मजाक उड़ाना।
परिहास – हँसी-मजाक करना।
उद्योग – धंधा या व्यवसाय।
उद्यम – प्रयास या प्रयत्न।
उदाहरण – किसी बात को समझाने के लिए प्रयुक्त की गई स्थिति।
दृष्टान्त – किसी बात के प्रमाणीकरण के लिए वैसी ही किसी दूसरी स्थिति की प्रस्तुति।
उपयोग – किसी वस्तु को साधारण रूप से काम में लेना।
उपभोग – किसी वस्तु का भोग करना।
उदास – मन न लगने से अन्यमनस्क हो जाना।
उदासीन – विषयों या वस्तुओं में कोई लगाव न होना।
उद्देश्य – जिसकी सिद्धि करनी हो।
लक्ष्य – जिस पर दृष्टि रखकर काम किया जाये।
उपक्रमणिका – ग्रन्थ के आरंभ में वर्णानुक्रम से दी गई सूची।
अनुक्रमणिका – ग्रन्थ के अंत में वर्णानुक्रम से दी गई सूची।
ऋषि – सत्य का साक्षात्कार करने वाला।
मुनि – सत्य का मनन करने वाला।
औषधालय – जहाँ दवाएँ मिलती हो।
चिकित्सालय – जहाँ इलाज होता हो।
कष्ट – मन और शरीर को समान असुविधा।
दु:ख – मानसिक आकुलता या अस्थिरता।
करुणा – किसी की पीड़ा को देखकर द्रवित होकर दूर करने की इच्छा।
दया – किसी के दुःख को देखकर सहायता करने की इच्छा।
किराया – मकान, दुकान आदि के लिए दी गई राशि।
भाड़ा – परिवहन के लिए दी गई राशि।
किनारा – जहाँ तक जल की पहुँच हो।
तट – जहाँ तक लहरों की पहुँच हो।
कुसुम – ऐसा फुल जिसमें गंध हो।
पुष्प – कोई भी सामान्य पुष्प गंधहीन या गधयुक्त।
कारण – जिससे कार्य होता हो।
हेतु – जिस उद्देश्य से कार्य किया जाये।
कविता – किसी कवि की एक छोटी रचना।
काव्य – अनेक कविताओं का संकलन।
कंगाल – अत्यधिक गरीब जिसे भोजन के भी लाले पड़ें।
दीन – गरीबी के कारण दया का पात्र।
कार्य – कोई भी सामान्य काम।
कर्तव्य – वह काम जिसको करने के लिए नैतिक अनिवार्यता हो।
कुख्यात – बुरे कार्यों के कारण बदनाम।
ख्यात/विख्यात – अच्छे कार्यों के लिए प्रसिद्ध।
दक्ष – हाथ से किये जाने वाले कार्यों के लिए प्रयुक्त।
निपुण – किसी कार्य में पूरी जानकारी रखने वाला।
क्रान्ति – जनसाधारण द्वारा शासन को उलटने के लिए किया गया संघर्ष।
विद्रोह – शासन के विरुद्ध बगावत।
करार – सहमति से जो तय किया जाये।
संविदा – शर्तों पर किया गया समझौता।
काल – युग से कम दीर्घकालीन समय।
युग – कई शताब्दियों का समय।
कोटि – बहुत विशिष्ट प्रकार।
श्रेणी – सामान्य प्रकार।
खेद – अथक ग्लानि की अनुभूति।
वेदना – मन और शरीर की असुविधाओं की तीव्र अनुभूति।
खेद – किसी गलती पर होने वाला दुःख।
क्षोभ – असफलता, पराजय, अपमान आदि से होने वाला मानसिक दुःख।
खाल – किसी जानवर के शरीर की कच्ची चमड़ी।
चमड़ा – खाल को रसायनों से साफ करके बनाया जाता है।
खेल – मनबहलाव की कोई क्रिया।
नाटक – संवादात्मक कहानी।
खोज – जो कहीं है उसकी प्राप्ति।
आविष्कार – नई निकाली गई चीज।
गीत – गाने योग्य कविता।
संगीत – गाने-बजाने की कला।
ग्रन्थ – धार्मिक या आध्यात्मिक विषय पर, बड़े आकार का।
पुस्तक – किसी भी विषय पर, छोटे आकार की।
गीला – थोड़ा भीगा हुआ।
भीगा – पूरी तरह तर।
लज्जा – दूसरों के सामने शर्म।
संकोच – किसी कार्य को आरंभ करने से पहले की हिचकिचाहट।
गलती – अनजाने या असावधानी के कारण भूल।
भूल – अपने-आप की गई भूल।
घर – परिजनों का समूह।
मकान – ईंट, पत्थर आदि से बना आवास स्थान।
चिंता – मन की उलझन।
चिंतन – बुद्धि की विचार प्रक्रिया।
चतुर – अच्छे कार्यों में होशियार।
चालाक – बुरे कार्यों में निपुण।
चेष्टा – कार्य हेतु किया जाने वाला सामान्य प्रयास।
प्रयास – सफलता पाने की आशा में किया जाने वाला प्रयत्न।
दुर्लभ – कोई मूल्यवान वस्तु जिसका मिलना कठिन हो।
दुष्प्राप्य – कोई साधारण वस्तु जिसको प्राप्त करना कठिन हो।
दुःख – साधारण कष्ट या मानसिक पीड़ा।
शोक – किसी की मृत्यु पर होने वाला दुःख।
धन्यवाद – किसी की सहायता पाकर उसके प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना।
बधाई – किसी की उपलब्धि से अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुये उसकी उन्नति की शुभकामना देना।
नूतन – हाल का/ताज़ा।
नवीन – जो पहले देखा-सुना न गया हो।
निर्देश – मार्गदर्शनपरक आदेश।
आदेश – किसी कार्य को आवश्यक रूप से करने का हुक्म।
निद्रा – सोना।
तंद्रा – झपकी।
प्रणाम – बड़ो के लिए अभिवादन।
नमस्कार/नमस्ते – बराबर वालों के लिए अभिवादन।
परिणाम – किसी भी कार्य का नतीजा जो कई परिस्थितियों के कारण होता है।
फल – अपने कार्य के कारण मिला नतीजा।
प्रज्ञा – अंतर्दृष्टि से सम्पन्न बुद्धि।
प्रतिभा – प्रकृति से प्राप्त योग्यता।
पवन – धीरे-धीरे तो कभी तेज चलने वाली वायु।
समीर – धीरे-धीरे चलने वाली शीतल वायु।
बयार – शीतल, मंद, सुगन्धित वायु।
प्रलाप – मानसिक संतुलन बिगड़ने के कारण की गई बकवास।
विलाप – विरह अथवा शोक में किया गया रूदन।
पुरुष – केवल नर आदमी।
मनुष्य – स्त्री और पुरुष दोनों की संज्ञा।
पत्नी – जिस स्त्री के साथ विवाह हुआ हो।
स्त्री – कोई भी महिला।
पुरस्कार – योग्यता के कारण प्रदान किया जाता है।
भेंट – आदरसहित सम्माननीय व्यक्ति को दी जाती हैं।
परीक्षक – परीक्षण करने वाला।
निरीक्षक – निरीक्षण करने वाला।
पाखंड – धार्मिक ढोंग।
आडम्बर – उपलब्धि का अवांछित दिखावा।
पौराणिक – पुराणों से सम्बन्धित।
प्राचीन – जो बहुत पुराना हो।
परामर्श – साधारण सलाह।
मंत्रणा – गुप्त सलाह।
बाधा – कार्य के आरंभ से पूर्व की अडचनें।
विघ्न – कार्य के आरंभ के बाद आने वाली अड़चनें।
भाषण – मौखिक व्याख्यान देना।
अभिभाषण – लिखित भाषण को पढ़ना।
प्रवचन – धर्मोपदेश।
भाष्य – किसी कृति की सम्यक् विवेचना।
टीका – पद्य रचना का भावार्थ।
मन – जहाँ संकल्प-विकल्प होता है।
चित्त – जहाँ स्मरण-विस्मरण होता है।
मित्र – वह व्यक्ति जिसके साथ आत्मीयता हो।
बंधु – रक्त सम्बन्धी आत्मीयता।
मौन – बोलने की शक्ति रखते हुए भी न बोलना।
मूक – गूंगा व्यक्ति।
यंत्रणा – मानसिक कष्ट।
यातना – शारीरिक कष्ट।
योग्यता – कार्य करने की मानसिक शक्ति।
क्षमता – कार्य करने की शारीरिक शक्ति।
युद्ध – दो सेनाओं के बीच लड़ाई।
लड़ाई – आम मनुष्यों के बीच झगड़ा।
राजा – सामान्य राजा।
सम्राट – राजाओं का राजा।
लेख – विषय प्रधान रचना।
निबन्ध – व्यक्तित्व प्रधान रचना।
वेतन – नियमित सेवा के बदले दिया जाने वाला धन।
पारिश्रमिक – निश्चित परिश्रम के बदले दिया जाने वाला धन।
विस्मय – परम आश्चर्य।
आश्चर्य – हैरानी।
वैर – लम्बी अवधि तक मन में रहने वाला क्रोध।
क्रोध – अरुचिकर एवं प्रतिकूल विषयों को नष्ट करने की प्रवृत्ति।
सहयोग – किसी काम को मिल-जुलकर करना।
सहायता – किसी काम में मदद करना।
स्वतंत्रता – व्यक्तिगत आज़ादी।
स्वाधीनता – देश की सामूहिक आजादी।
सेवा – किसी की भी खिदमतदारी।
शुश्रूषा – रोगियों और दीन-दुखियों की सेवा।
भ्रांति – किसी मिथ्या वस्तु में सत्य का आरोपण।
संदेह – अनिश्चित ज्ञान।
संवेदना – दूसरे के दुःख पर दुःख प्रकट करना।
सहानुभूति – दूसरे के दुःख को समझना और मदद करने की भाव रखना।
सृजन – व्यक्ति जो बनाता है।
उत्पादन – कारखाना या भूमि जो पैदा करती है।
साधन – कोई चीज जिसकी सहायता से काम पूरा हो।
माध्यम – जिसके द्वारा कार्य होता हो।
समाचार – नई घटना की खबर।
सूचना – जानकारी या नोटिस।
सभ्यता – रहन-सहन।
संस्कृति – रीति-रिवाज और संस्कार।
सिनेमा – थियेटर में दिखाई गई फिल्म।
थियेटर – नाटक या फिल्म आदि के प्रदर्शन का स्थान।
हानि – किसी वस्तु को खो देने, नष्ट हो जाने से हुआ नुकसान।
क्षति – किसी वस्तु के किसी भाग का नष्ट हो जाना।
हत्या – षड्यंत्रपूर्वक किसी को गुप्त रूप से मारना।
वध – युद्ध में किसी को सामने से मारना।
***