Educational Psychology
शिक्षा मनोविज्ञान
मनोविज्ञान की शाखा के रूप में शिक्षा मनोविज्ञान की उत्पत्ति 1900 ईस्वी. में मानी जाती है। मनोविज्ञान के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों में से अमेरिका के प्रमुख वैज्ञानिक थार्नडाइक, टर्मन, जड़ तथा स्टेनले हॉल ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में सक्रिय प्रयास किये जिसके फलस्वरूप 1920 ई. में शिक्षा मनोविज्ञान को निश्चित स्वरूप प्राप्त हो सका।
शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की सर्वप्रथम प्राक्कल्पना रूसो ने की थी।
शिक्षा मनोविज्ञान की औपचारिक आधारशिला जी.स्टैनले हॉल के प्रयासों से 1889 में रखी गई।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएँ—
(1) शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धान्तों व परिणामों का शिक्षा के क्षेत्र में अनुप्रयोग है।—कॉल सेनिक
(2) शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन तथा व्याख्या करता है।—क्रॉ एण्ड क्रॉ
(3) शिक्षा मनोविज्ञान मानवीय व्यवहार का शैक्षिक परिस्थिति में अध्ययन करता है।—स्किनर
(4) शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षा जिसमें मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों तथा खोजों के प्रयोग के साथ ही शिक्षा की समस्याओं के मनोवैज्ञानिक अध्ययन से सम्बन्धित है।— जेम्स ड्रेवर
(5) शिक्षा मनोविज्ञान शैक्षिक विकास का क्रमबद्ध अध्ययन है।—स्टीफन
(6) सबसे पहले शिक्षा मनोविज्ञान का वैज्ञानीकरण किया।—पेस्टालॉजी
(7) शिक्षा मनोविज्ञान, शिक्षा का विज्ञान है।—प्रो. पील
अत: हम स्पष्ट रूप से यह कह सकते है कि शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है।
निष्कर्ष—उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम कह सकते है कि शिक्षा मनोविज्ञान एक ‘विधायक विज्ञानÓ है जो शैक्षणिक परिस्थितियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन कर उन मानवीय अवसरों व्यवहारों तथा व्यक्तित्व का विश्लेषण करती है, जिनका उत्थान, विकास निर्देशन शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया द्वारा होता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति—
- इसमें नियमों तथा सिद्धान्तों का प्रयोग किया जाता है।
- यह एक व्यवहारिक विधायक (सकारात्मक) विज्ञान है।
- इसमें सिद्धान्त सार्वभौमिक होते है।
- इसमें सभी सिद्धान्तों का पुष्टिकरण किया जा सकता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान सदैव सत्य की खोज में रहता है। अर्थात् सीखने वाले व्यवहार का उसमें शैक्षिक वातावरण के सम्बन्ध में अध्ययन करता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान का सम्बन्ध अतीत की अपेक्षा वर्तमान की घटनाओं के क्या और क्यों से होता है।
- अकारान्त विज्ञान की अपेक्षा एक सकारात्मक विज्ञान है यह शिक्षा के कैसे, कब और कहाँ जैसे प्रश्नों के उत्तर पर ध्यान केन्द्रित करता है।
- शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष और सामान्यीकरण पर्याप्त विश्वसनीय होते है और इस प्रकार विज्ञानों की भाँति इन्हें समान परिस्थितियों के व्यवहार की भविष्यवाणी करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र—
शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में वह सभी ज्ञान तथा प्रविधियाँ सम्मिलित होती है जो सिखने की प्रक्रिया को अधिक अच्छी प्रकार से समझने तथा अधिक निपुणता से निर्धारित करने से सम्बन्धित है।—स्किनर
1. वंशानुक्रम
2. विकास
3. व्यक्तिगत भिन्नता
4. व्यक्तित्व
5. विशिष्ट बालक
6. अधिगम प्रक्रिया
7. पाठ्यक्रम निर्माण
8. मानसिक स्वास्थ्य
9. शिक्षण विधियाँ
10. निर्देशन एवं परामर्श
11. मापन व मूल्यांकन
12. समूह गतिशीलता
13. अनुसंधान
शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य—
(1) बालकों की बुद्धि, ज्ञान और व्यवहार में उन्नति किये जाने के विश्वास को दर्द बनाना अर्थात् बालक को अपनी योग्यता, क्षमता और शक्ति को जानने में सहायता करना और उसी के अनुसार विकास की ओर अग्रसर करने के लिए प्रेरित करना।
(2) बालकों के प्रति निष्पक्ष और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण का विकास करने में सहायता करना।
(3) बालकों में वांछनीय व्यवहार के अनुरूप शिक्षा के स्तरों और उद्देश्यों को निश्चित करने में सहायता करना।
(4) सामाजिक सम्बन्धों के स्वरूप और महत्त्व को अधिक अच्छी प्रकार से समझने में सहायता करना।
(5) शिक्षण की समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले तथ्यों और सिद्धान्तों का ज्ञान प्रदान करना।
(6) शिक्षक को अपने और दूसरों के शिक्षण के परिणामों को जानने में सहायता देना।
(7) शिक्षक को छात्रों के व्यवहार की व्याख्या करने के लिये आवश्यक तथ्य एवं सिद्धान्त प्रदान करना।
(8) प्रगतिशील शिक्षण पद्धतियों, निर्देशन, कार्यक्रमों एवं विद्यालय संगठन और प्रशासन के स्वरूपों को निश्चित करने के लिए सहायता देना।
इस प्रकार शिक्षा मनोविज्ञान का उद्देश्य छात्रों, अध्यापकों, शिक्षा-शास्त्रियों, शौधकर्त्ताओं, प्रशासकों, अभिभावकों आदि की दृष्टि उन सभी को वांछित परिणाम प्राप्त करने में सहायता प्रदान करना है।