राजस्थान में आभूषण

राजस्थान में आभूषण राजस्थान में स्त्रियों के प्रमुख आभूषण सिर के आभूषण- शीषफूल (सिरफूल या सिरेज), सिरमांग, रखड़ी, बोर (बोरला), गोफण, पतरी, टिकड़ा, मेंमद, फूलगुघर, मैण। ललाट (मस्तक) के आभूषण – बिन्दी, टीका, टीडीभलको, तिलक, सांकली, दामिनी, ताबित। नाक के Read More …

राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ

राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ गैटोर की छतरियां- जयपुर गैटोर की छतरियां जयपुर के शासकों का शमशान घाट हैं, ये छतरियां नाहरगढ़ की तलहटी में बनी हुई हैं। इन छतरियों में सबसे प्रसिद्ध छतरी महाराजा जयसिंह द्वितीय की हैं, इस छतरी Read More …

राजस्थान के प्रमुख महल

राजस्थान के प्रमुख महल हवा महलः- इसका निर्माण 1799 ई. में वास्तुकार लालचन्द उस्तां की देख-रेख में सवाई प्रतापसिंह ने करवाया। हवा महल श्रीकृष्ण को समर्पित हैं तथा इसकी आकृति मुकुट के समान हैं। इसलिए राजस्थान के इतिहास के जनक Read More …

राजस्थान की प्रमुख जनजातियाँ

राजस्थान की प्रमुख जनजातियाँ गरासिया जनजाति- गरासिया राजस्थान की तीसरी सर्वाधिक संख्या वाली जनजाति हैं। गरासिया राजस्थान में सर्वाधिक सिरोही (आबूरोड़) में तथा उसके बाद उदयपुर में निवास करते हैं। यह जनजाति अपनी उत्पति माउण्ट आबू के अग्निकुण्ड से मानती Read More …

राजस्थान में मीणा एवं भील जनजातियाँ

राजस्थान में मीणा एवं भील जनजातियाँ 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान की कुल जनसंख्या का 13.5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति का हैं। सर्वाधिक जनजाति वाला जिला- उदयपुर, न्यूनतम जनजाति वाला जिला- बीकानेर। प्रतिशत के अनुसार सर्वाधिक जनजाति वाला जिला- बांसवाड़ा Read More …

राजस्थान की प्रमुख बोलियाँ

राजस्थान की प्रमुख बोलियाँ राजस्थान की मातृभाषा राजस्थानी हैं, वर्तमान में संविधान की 8वीं अनुसूची में 22 भाषाओं का उल्लेख हैं लेकिन राजस्थानी इन 22 भाषाओं में शामिल नहीं हैं। राजस्थानी की लिपी मुड़िया / बनियावली / महाजनी हैं। भाषाओं Read More …

राजस्थान में हस्तकला

राजस्थान में हस्तकला मानव द्वारा अपने हाथों से कलात्मक एवं आकर्षण वस्तुएँ बनाना ही हस्तकला कहलाती हैं। राजस्थान में वर्तमान को सर्वाधिक विदेशी मुद्रा हस्तकला उद्योग से ही प्राप्त होती हैं। इस लिए राजस्थान सरकार ने इसके संर्वधन हेतु औद्योगिक Read More …

ढ़ूँढ़ाड चित्रकला शैली

ढ़ूँढ़ाड चित्रकला शैली आमेर शैली या जयपुरः- जयपुर राज्य में चित्रकारों द्वारा सूरतखाने में चित्र बनाये जाते हैं। यह ढूँढाड़ शैली की सबसे महत्त्वपूर्ण शैली है। मुगलशैली की चित्रकला का सबसे अधिक प्रभाव इसी शैली पर पड़ा, इस शैली पर Read More …

हाड़ौती चित्रकला शैली

हाड़ौती चित्रकला शैली बूँदी शैलीः- यह हाड़ौती शैली की उपशैली है, इस शैली का सर्वाधिक विकास या स्वर्णकाल राव सुर्जनसिंह का काल हैं। मेवाड़ व मुगलशैली के मिश्रण से इस शैली उद्भव हुआ। महारावल उम्मेदसिंह के काल में बनी हुई Read More …

मारवाड़ चित्रकला शैली

मारवाड़ चित्रकला शैली जोधपुर शैली:- मारवाड़ शैली की उपशैली, इस शैली का सर्वाधिक विकास राव मालदेव के काल में हुआ। इसलिए मालदेव का काल इस शैली का स्वर्णकाल कहलाता है। मुगलशैली से प्रभावित होकर यह शैली अपनी सत्ता खो बैठी Read More …