राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ

राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ

गैटोर की छतरियां- जयपुर

  • गैटोर की छतरियां जयपुर के शासकों का शमशान घाट हैं, ये छतरियां नाहरगढ़ की तलहटी में बनी हुई हैं।
  • इन छतरियों में सबसे प्रसिद्ध छतरी महाराजा जयसिंह द्वितीय की हैं, इस छतरी की एक अनुकृति लंदन के केनसिंगल म्यूजियम में रखी गई हैं।
  • केवल ईश्वरी सिंह की छतरी यहाँ नहीं हैं ईश्वरी सिंह की छतरी सिटी पैलेस के जयनिवास उद्यान में स्थित हैं।

न्याय की छतरी/ 32 खम्भों की छतरी – रणथम्भौर (सवाई माधोपुर)

  • इसका निर्माण हम्मीर ने पिता जैतसिंह की याद में धौलपुर के लाल पत्थरों से करवाया था।

मण्डोर की छतरियां- जोधपुर

  • यहाँ पंचकुण्ड नामक स्थान पर राठौड़ राजाओं की छतरियां हैं, इनके अलावा यहाँ की प्रमुख छतरियां मामा भान्जा की छतरी, कागा की छतरी, गौरा धाय की छतरियां हैं।

84 खम्भों की छतरी/मूसी रानी की छतरी/धाबाई की छतरी – देवपुरा, ( बूंदी)-

  • भगवान शिव को समर्पित इस तीन मंजिला छतरी में पशु पक्षियों के चित्र उकेरे गये हैं।

80 खम्भों की छतरी – अलवर:-

  • इस 2 मंजिला छतरी में रामायण व महाभारत के भिति चित्र देखने को मिलते हैं इस छतरी का निर्माण मूसी रानी की याद में करवाया गया।

माण्डलगढ की छतरी/जगन्नाथ कच्छवाहा की छतरी – माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा)

  • महाराणा प्रताप के विरूद्ध अकबर द्वारा भेजे गये 1584 में अन्तिम अभियान में जगन्नाथ कच्छवाहा की छतरी 32 खम्भों पर निर्मित हैं।
  • इस छतरी के निर्माण में हिन्दू व मुस्लिम दोनों स्थापत्य कला हैं। इस छतरी पर शिवलिंग बना हुआ हैं।

क्षार बाग की छतरियां –

  • यहाँ पर हाड़ा राजवंश के शासकों की छतरियां मौजूद हैं।

बड़ा बाग की छतरियां – जैसलमेर

  • यहाँ पर भाटी वंश के शासकों की छतरियां मौजूद हैं।

देवकुण्ड की छतरी – बीकानेर

  • यहाँ पर राव बीका की छतरी मौजूद हैं।

केसरबाग की छतरियां- बूंदी

  • यहाँ की सबसे प्राचीन छतरी कुमार दूदा की हैं।

नैड़ा/टहला की छतरियां- सरिस्का (अलवर)

  • यहाँ की प्रसिद्ध छतरी मिश्रजी की छतरी हैं जो 8 खम्भों पर निर्मित हैं। यहाँ की छतरियों में दशावतार का चित्रण हैं।

बख्तावर सिंह की छतरी – अलवर

  • नोट- बख्तावर सिंह की एक छतरी मण्डोर (जोधपुर) में स्थित हैं।

महाराणा प्रताप की छतरी- बाण्डोली (उदयपुर)

  • महाराणा प्रताप की 8 खम्भों की छतरी का निर्माण अमरसिंह ने केजड़ बांध पर करवाया था।

महाराणा सांगा की छतरी- माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा)

  • ये छतरी आठ खम्भों पर निर्मित हैं।

बीस खम्भों की छतरी/सिंघवियों की छतरियां- जोधपुर

  • यह छतरियां नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं तथा यहाँ की प्रमुख छतरी अखैराज की हैं, इस छतरी के अलावा यहाँ पर जैसलमेर रानी तथा अहाड़ा हिंगोला की छतरी है।

उड़ना राजकुमार की छतरी – कुम्भलगढ़ दुर्ग (राजसमन्द)

  • इसका वास्तविक नाम पृथ्वीराज सिसोदिया था जो राणा सांगा का बड़ा भाई था।
  • इसकी छतरी 12 खम्भों पर निर्मित हैं जिसमें नारियों के चित्र देखने को मिलते हैं।

गफूरबाबा की छतरी – उदयपुर

  • इसकी छतरी का निर्माण जगमन्दिर के पास शाहजांह ने करवाया था।

जोध सिंह की छतरी (32 खम्भों)- बदनौर, भीलवाड़ा

अकबर की छतरी – बयाना दुर्ग, भरतपुर

बन्जारों की छतरी – लालसोट, दौसा

सिसोंदिया वंश की छतरियां- आहड़ (उदयपुर)

कुते की छतरी – कुक्काराज की घाटी, रणथम्भौर दुर्ग (सवाईमाधोपुर)

अमरसिंह की छतरी- (16 खम्भों पर स्थित) नागौर

खाण्डेराव की छतरी- गागरसौली (भरतपुर)

राव गोपालसिंह की छतरी- करौली

रावजी की 8 छतरियां – बेंगू, (चितौड़गढ़)

अमरगढ़ की छतरियां – भीलवाड़ा

महाराजा गंगासिंह व सार्दुलसिंह की छतरियां- बीकानेर

कल्याणमल की छतरी – बीकानेर

राव जैतसी की छतरी – हनुमानगढ़

चेतक की छतरी- हल्दीघाटी (राजसमन्द)

लाछां गूजरी की छतरी – नागौर

राव शेखा की छतरी – परशुरामपुरा (झुंझुंनू)

1 खम्भे की छतरी – सवाई माधोपुर

रसिया की छतरी – टोंक

बोहरा जी की छतरी – कैलादेवी के मन्दिर के सामने (करौली)

गोपालसिंह की छतरी – करौली

कीरत सिंह की छतरी – मेहरानगढ (जोधपुर)

रैदास की छतरी – चितौड़गढ़

मानसिंह प्रथम की छतरी – आमेर

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